नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा सोमवार को लोकसभा में तमिलनाडु के सांसदों को ‘असभ्य’ और ‘अलोकतांत्रिक’ कहकर एक और विवाद खड़ा करने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने एक बयान में केंद्रीय मंत्री को अपनी ज़बान पर काबू रखने चेतावनी दी.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच, तमिलनाडु में कई जगहों पर डीएमके कार्यकर्ताओं ने प्रधान की टिप्पणी की निंदा की और उनके पुतले जलाए.
प्रधान ने यह विवादित टिप्पणी तब की जब डीएमके सांसदों ने केंद्र सरकार द्वारा समग्र शिक्षा योजना के तहत राज्य को मिलने वाले 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के फंड को रोके रखने का मुद्दा उठाया. राज्य ने पीएम श्री योजना को लागू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है क्योंकि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति और त्रिभाषा फार्मूले का विरोध करता है.
जब डीएमके सांसदों ने प्रधान के इस आरोप पर विरोध जताया कि राज्य सरकार शुरू में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद अपने रुख से पीछे हट गई, तो मंत्री, जो स्पष्ट रूप से उत्तेजित दिख रहे थे, ने सांसदों पर राजनीति करके तमिलनाडु के बच्चों का भविष्य खराब करने का आरोप लगाया और उन्हें ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘असभ्य’ कहा.
प्रधान के इस आरोप का खंडन करते हुए कि राज्य ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद यू-टर्न ले लिया, स्टालिन ने प्रधान द्वारा 30 अगस्त, 2024 को उन्हें भेजा गया पत्र साझा किया.
उन्होंने पूछा, ‘क्या यह आप ही नहीं थे जिन्होंने मुझे पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु द्वारा भेजे गए (संशोधित) पीएम श्री समझौता ज्ञापन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन-भाषा फार्मूले को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.’
राज्य के फंड को जारी न करके तमिलनाडु को ‘धोखा’ देने और सांसदों को ‘असभ्य’ कहने के लिए मंत्री की निंदा करते हुए, उन्होंने मंत्री पर तमिलनाडु के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री को टैग करते हुए पूछा, ‘क्या माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे स्वीकार करते हैं.’
एनईपी और तीन-भाषा फार्मूले के खिलाफ राज्य के रुख को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान तमिलनाडु सरकार लोगों की राय का सम्मान करते हुए काम करती है और वह प्रधान की तरह नागपुर (आरएसएस) के निर्देशों के आगे नहीं झुकती है.
उन्होंने कहा, ‘हम आपकी योजना को लागू करने के लिए कभी आगे नहीं आए. कोई भी मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.’
स्टालिन ने सवाल किया, ‘क्या आप हमसे वसूले गए टैक्स और छात्रों के धन को वापस करेंगे या नहीं?’
तमिलनाडु के स्कूली शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने भी प्रधान की ‘अपमानजनक टिप्पणी’ की कड़ी निंदा की. पोय्यामोझी ने पूछा, ‘क्या वह वास्तव में समझते हैं कि वह क्या कह रहे हैं या वह सिर्फ़ उन्हें दी गई स्क्रिप्ट को दोहरा रहे हैं?’
उन्होंने एक्स पर कहा, ‘शिक्षा में केंद्र की भाजपा सरकार का राजनीतिक हस्तक्षेप माफ नहीं किया जाएगा. छात्र और शिक्षक इस विश्वासघात को याद रखेंगे. एनईपी कोई शिक्षा नीति नहीं है, बल्कि आरएसएस द्वारा संचालित एजेंडा है. तमिलनाडु इसे पूरी तरह से खारिज करता है. डीएमके सांसद शिक्षा और हमारे राज्य के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. यह लड़ाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक न्याय नहीं मिल जाता.’
धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी पर डीएमके सदस्यों के विरोध के बाद सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही करीब 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई थी.
विवाद के बाद प्रधान ने शब्द लिए वापस
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, प्रधान ने डीएमके सांसदों द्वारा आपत्ति किए गए शब्द को वापस ले लिया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने निर्देश दिया कि इसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाए.
कनिमोझी को जवाब देते हुए प्रधान ने कहा, ‘मेरी सम्मानित सहयोगी, मेरी सबसे प्रिय बहनों में से एक और वरिष्ठ सदस्य माननीय कनिमोझी ने दो मुद्दे उठाए हैं. एक बिंदु पर उन्होंने कहा है कि मैंने एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका इस्तेमाल मुझे तमिलनाडु के सदस्यों, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु के लोगों के लिए नहीं करना चाहिए था.’
उन्होंने कहा, ‘इसे आपस में न मिलाएं. मैं इसे वापस लेता हूं. अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपना शब्द वापस लेता हूं. मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है.’
एनईपी विवाद
ज्ञात हो कि पिछले महीने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले के संबंध में कथित तौर पर ‘ब्लैकमेल’ करने का आरोप लगाया था.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कथित तौर पर कहा था कि जब तक तमिलनाडु द्वारा एनईपी और त्रिभाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक प्रदेश को समग्र शिक्षा अभियान के तहत अनुदान नहीं दिया जाएगा. उनकी इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की गई थी.
एमके स्टालिन ने कहा था कि वह तमिलनाडु में एनईपी लागू नहीं करने के अपने रुख पर अड़े हुए है, भले ही केंद्र राज्य को 10,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश करे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनईपी का विरोध केवल ‘हिंदी थोपने’ को लेकर नहीं है, बल्कि कई अन्य कारक हैं, जिनका छात्रों के भविष्य और सामाजिक न्याय प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.
गौरतलब है कि पीएम श्री योजना की कुल लागत पांच वर्षों की अवधि में 27,360 करोड़ रुपये होगी, जिसमें 18,128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है.
32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 12,079 स्कूलों का चयन किया गया है, जिनमें से 1,329 स्कूल प्राथमिक, 3,340 स्कूल प्रारंभिक, 2,921 स्कूल माध्यमिक और 4,489 स्कूल वरिष्ठ माध्यमिक हैं.