पाली जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर स्थित ढाबर गांव मंगलवार सुबह एक हृदयविदारक दृश्य का गवाह बना। गांव के चार युवाओं – मदन, भरत, राकेश और विनोद – की एक साथ निकली अर्थियों ने हर आंख को नम कर दिया। पूरे गांव में मातम का माहौल था और अंतिम यात्रा में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई यही कहता नजर आया – “भगवान ऐसा मंजर दुबारा न दिखाए।”
चारों मृतकों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। ग्रामीणों की मौजूदगी में चारों का अंतिम संस्कार गांव के श्मशान घाट पर किया गया।
यह दुखद घटना 15 जून को तेलंगाना के बसारा में सरस्वती पूजन के दौरान घटी, जहां पाली ज़िले के रोहट तहसील के ढाबर गांव के मूल निवासी पेमाराम राठौड़ की पत्नी सोनादेवी अपने तीन बेटों – मदन, भरत, राकेश – और बहन के बेटे विनोद के साथ पूजा-अर्चना के लिए गई थीं। इस यात्रा में पड़ोसियों के कुछ लोग भी शामिल थे।
पूजन के बाद ये सभी नदी में स्नान करने उतरे, जहां तेज बहाव और गहराई के कारण मदन, भरत, राकेश, विनोद और एक अन्य किशोर रितिक की डूबने से मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
करीब 15-20 साल पहले काम की तलाश में हैदराबाद के चिंतल शाहपुर नगर जाकर बसे पेमाराम राठौड़ का परिवार गांव में अपने संस्कार और रिश्तों से आज भी जुड़ा हुआ था। इस दुर्घटना ने न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे गांव को शोक में डुबो दिया है।
गांव के बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक सभी की आंखें नम थीं और माहौल पूरी तरह ग़मगीन। यह घटना सभी के लिए एक करुण चेतावनी बनकर सामने आई है कि जिंदगी कितनी नाजुक और अनिश्चित है।