मारवाड़ जक्शन। आज ऑल इंडिया स्टेट पेंशनर्स फेडरेशन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर उपशाखा मारवाड़ जंक्शन द्वारा एक महत्वपूर्ण ज्ञापन उपखंड अधिकारी मारवाड़ जंक्शन को सौंपा गया, जिसे भारत के प्रधानमंत्री के नाम संबोधित किया गया है।
ज्ञापन में यह मांग प्रमुख रूप से रखी गई कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों तथा भारत की संचित निधि से देनदारियों पर व्यय के सिद्धांतों के वैधकरण के फलस्वरूप केंद्र सरकार को पूर्व एवं वर्तमान पेंशनरों के बीच भेद करने का जो अधिकार प्राप्त हुआ है, वह पूर्णतः अनुचित है। इससे न केवल सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का उल्लंघन होता है, बल्कि 01 जनवरी 2016 से पहले और बाद के पेंशनरों के बीच 7वें वेतन आयोग द्वारा दी गई समानता भी समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि पेंशन योजना का उद्देश्य ऐसा होना चाहिए कि एक पेंशनर सेवा निवृत्ति के बाद भी आत्मनिर्भर, स्वतंत्र एवं सम्मानजनक जीवन जी सके।
अतः फेडरेशन की ओर से भारत सरकार से अनुरोध किया गया है कि उक्त निर्णय पर पुनर्विचार कर पूर्व पेंशनरों के हितों की रक्षा करते हुए उन्हें पूर्व में प्रदत्त सुविधाओं से वंचित न किया जाए।
ज्ञापन सौंपने वालों में उपशाखा अध्यक्ष प्रताप राम मालवीय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सोहन सिंह सोलंकी, उपाध्यक्ष भंवरलाल मालवीय, सचिव मोहम्मद खान पठान, सह-सचिव हरिराम वर्मा, कोषाध्यक्ष श्री किशन ओझा सहित भूराराम गुर्जर, साबिर मोहम्मद सागर, प्रेम प्रकाश शर्मा, भगवत सिंह, मिठूसिंह, जगदीश सिंह, राजेंद्र सिंह, मांगीलाल परिहार, शिव सिंह, नेमीचंद शर्मा, मीठालाल भाटी, प्रेम सिंह राजपुरोहित, नवरतन सिंह, पेमाराम गुर्जर, रतन सिंह राजपुरोहित, केवलचंद जोशी सहित अनेक पेंशनर मौजूद रहे।
यह ज्ञापन पेंशनरों के हक और सम्मान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।