पाली। शहीद-ए-आज़म हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मातमी पर्व मोहर्रम को शुक्रवार रात पाली शहर में पूरी अकीदत और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस मौके पर मुस्लिम समाज ने गमगीन माहौल में अपने इमाम की कुर्बानी को याद करते हुए शोक व्यक्त किया और पारंपरिक रूप से हलीम (विशेष पकवान) एवं छबील (शरबत) का वितरण किया।
इस्लाम धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। यह पर्व अन्याय, अत्याचार और अधर्म के खिलाफ खड़े होने की मिसाल है, जिसे मुस्लिम समाज पूरे संयम और आस्था से मनाता है।
पाली शहर में हर वर्ष की भांति इस बार भी मोहर्रम के अवसर पर ताजियों का पारंपरिक जुलूस ढोल-ताशों की मातमी धुनों और “या अली”, “या हुसैन” के नारों के साथ निकाला गया।
शहर में मुख्य रूप से पाँच ताजिए बनाए जाते है, जिनके नाम है— पीठ का मोहर्रम,मोहर्रम चूड़ीगरान, पलटन मोहर्रम क़ुरेशियां, मोहर्रम खरादियान, मोहर्रम जूनी पाली भैरूघाट के मोहर्रम ये सभी जुलूस के रूप में रवाना होकर अपने अपने निर्धारित रास्तो से जाकिर हुसैन मार्ग पर एकत्रित हुए। वहां का नज़ारा श्रद्धा, एकता और जोश का प्रतीक बन गया।
जुलूस में शामिल विभिन्न अखाड़ों के युवाओं ने एक से बढ़कर एक हैरतअंगेज़ करतब प्रस्तुत किए। आग की बननाटी (जलती हुई रस्सी) को घुमाने, तलवारबाज़ी दिखाने और पारंपरिक डान सलामी से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। चारों तरफ श्रद्धालु “या हुसैन” के नारे लगाते दिखे और माहौल पूरी तरह मातमी रंग में रंगा नजर आया।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
मोहर्रम के इस जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहा। जगह-जगह पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी और प्रशासन द्वारा जुलूस के मार्गों की निगरानी ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों से की गई। कहीं से भी किसी तरह की कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।