सोजत । पाली # मोहर्रम पर्व की तैयारी के अंतर्गत सोजत शहर में मातमी रस्म “मेहंदी की रात” बड़े ही श्रद्धा और अकीदत के साथ मनाई गई। यह रस्म मोहर्रम से दो दिन पूर्व आयोजित की जाती है, जो इमाम हुसैन की शहादत की याद में होने वाले मातमी कार्यक्रमों की एक अहम कड़ी है।
मेहंदी की रात के तहत शहर की महिलाओं ने पारंपरिक रीति से चुरमा तैयार कर, उसे बाजोट (लकड़ी का छोटा पाटा) पर सजाया। बाजोट को चारों ओर दीपों से रोशन किया गया और फिर सिर पर रखकर मातमी ढोल-ताशों के साथ जुलूस के रूप में इमामबाड़ों तक पहुंचाया गया। वहां चुरमे पर फातिहा पढ़ी गई। यह रस्म विशेष रूप से हज़रत इमाम कासिम की याद में अदा की जाती है, जो कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए थे।
हजरत इमाम कासिम, हजरत इमाम हसन के सुपुत्र और इमाम हुसैन के भतीजे थे। उनकी शहादत की याद में निकाला जाने वाला यह ‘मेहंदी का जुलूस’ मुस्लिम समाज के लिए एक गहरा भावनात्मक प्रतीक है। इस मौके पर इमामबाड़ों में भारी भीड़ उमड़ी और माहौल मातम से भर गया।
सोजत के प्रसिद्ध “तकिया पाटी” इमामबाड़े में भी परंपरागत ताजिया पूरी अकीदत से तैयार किया जा रहा है। यह ताजिया विशेष रूप से कुशल कारीगरों द्वारा बांस और कपड़े की मदद से एक गुम्बद की शक्ल में बनाया जाता है। मुस्लिम समाज की इस ताजिए से गहरी आस्था जुड़ी हुई है, और हर साल यहां बड़ी संख्या में अकीदतमंद दर्शन करने आते हैं।
शहर में मोहर्रम को लेकर प्रशासन भी सुरक्षा और व्यवस्था के लिहाज से मुस्तैद नजर आया।