पाली शहर में मोहर्रम के मौके पर पारंपरिक अखाड़ा प्रदर्शन का आयोजन भव्य और ऐतिहासिक रहा। घोसीवाड़ा चौराहा से शुरू होकर कादरिया चौक तक निकले जुलूस में आठ अखाड़ों के युवाओं ने लाठी, लकड़ी, बाना, तलवार और चकरी जैसे पारंपरिक हथियारों के जरिए हैरतअंगेज़ करतब दिखाए, जिनसे दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे।
बेटियों की भागीदारी ने बढ़ाया गौरव
इस वर्ष का आयोजन विशेष इसलिए भी रहा क्योंकि महिलाओं की भागीदारी ने पहली बार अखाड़ों में एक नया आयाम जोड़ा। बेटियों ने अपनी फुर्ती और संतुलन के साथ परंपरागत कलाओं का ऐसा प्रदर्शन किया जिसने समाज को महिला सशक्तिकरण का सशक्त संदेश दिया।
नवगठित ‘हुसैनी अखाड़ा’ की भव्य शुरुआत
इस साल पाली में ‘हुसैनी अखाड़ा’ के नाम से एक नए अखाड़े की शुरुआत हुई, जो पीठ के मोहर्रम का पहला अखाड़ा है। हाजी उमर लोहार अशरफी के नेतृत्व और मोहम्मद युसुफ उर्फ कालू भाई, जाहिद गौरी व कासम गौरी के मार्गदर्शन में निकले इस अखाड़े ने दर्शकों के बीच विशेष आकर्षण बनाया।
‘हुसैनी अखाड़ा’ में युवाओं ने बड़े जोश और उत्साह से अपनी कला का प्रदर्शन किया। यह पहल स्थानीय युवाओं को अपनी परंपरा और विरासत को जीवंत रखने का एक नया मंच प्रदान करती है।
एपीजे अब्दुल कलाम सेवा समिति ने किया सम्मान समारोह
मोहर्रम जुलूस के समापन पर राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सेवा समिति द्वारा अखाड़े से जुड़े उस्तादों, खलीफाओं और अन्य प्रदर्शनकारियों का स्वागत और सम्मान किया गया।
इस अवसर पर समिति अध्यक्ष रमजान सामरिया, सरपरस्त गुलाम मुस्तफा भाईजान, फारुख रंगीला और रसाल खान मेहर ने मिलकर कार्यक्रम का संचालन किया।
मुख्य अतिथि के रूप में मशहूर समाजसेवी वह कांग्रेस जिला अध्यक्ष अजीज दर्द उपस्थित रहे, जिन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि “यह परंपरा हमारी सांझी संस्कृति और भाईचारे की मिसाल है।”
सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल रहे:
पार्षद प्रतिनिधि शहजाद शेख, चोटिला कमेटी सदर अमजद अली रंगरेज, पीठ का मोहर्रम सदर असलम खान सिंधी, मोहर्रम इंतजामिया कमेटी सदर अजीज फौजदार, चूड़ीगरान के लाइसेंसदार शाहिद पीनू, सेसमाजसेवी जावेद सिरोहा एवं मोहम्मद जाहिद गोरी (ब्यूरो चीफ, RJ22 न्यूज़) अखाड़ा इंतजामिया कमेटी संयोजक फैयाज़ बुखारी, सदर इंसाफ सोलंकी, अखाड़ा मीर अजीम जंगीवाड़ा उस्ताद हाशम खिलेरी, अखाड़ा शेख चिराग उस्ताद हाजी फकीर मोहम्मद, अखाड़ा हुसैनी सरपरस्त मोहम्मद यूसुफ, सिराज गोरी, मुश्ताक गौरी, लियाकत गौरी, फारूक काका छिपा, मुनाजिर अली चूड़ीगर, जाकिर हुसैन आदि का सम्मान किया गया।
गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल
यह आयोजन पाली की गंगा-जमुनी तहज़ीब और साम्प्रदायिक सौहार्द का शानदार उदाहरण रहा, जहाँ हर धर्म और वर्ग के लोगों ने मिलकर मोहर्रम की परंपरा को जीवंत बनाया और सामाजिक एकता का परिचय दिया।