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डिजिटल अरेस्ट: एक नया साइबर फ्रॉड, जिससे हर भारतीय को सतर्क रहना चाहिए। पढ़े विस्तृत जानकारी

भारत में डिजिटलाइजेशन के बढ़ते दौर में साइबर फ्रॉड की एक नई और खतरनाक किस्म ने दस्तक दी है—’डिजिटल अरेस्ट स्कैम’। यह एक ऐसा धोखाधड़ी का जाल है जिसमें आम नागरिकों से लेकर प्रोफेशनल्स, छात्र, बिजनेसमैन सभी फंस रहे हैं। 2024 के पहले 10 महीनों में ही इस स्कैम से भारत में 2,140 करोड़ रुपए की ठगी हो चुकी है, यानी औसतन हर महीने 214 करोड़ की धोखाधड़ी।

क्या है डिजिटल अरेस्ट स्कैम?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम में साइबर अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी, साइबर सेल एजेंट या किसी सरकारी जांच एजेंसी का सदस्य बताकर वीडियो कॉल या फोन करते हैं। वे दावा करते हैं कि आपके खिलाफ अश्लील सामग्री साझा करने, मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स जैसे मामलों में केस दर्ज है।

वे WhatsApp वीडियो कॉल पर नकली पुलिस ID, गिरफ्तारी वारंट या कोर्ट ऑर्डर दिखाते हैं और ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देते हैं। फिर पूछताछ के बहाने कॉल चालू रखते हैं और पीड़ित को डराकर जुर्माना या जमानत राशि मांगते हैं।

डिजिटल अरेस्ट: क्या है कानूनी सच्चाई?

एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच, इंदौर) राजेश दंडोतिया के अनुसार, भारतीय कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई प्रक्रिया नहीं है।

गिरफ्तारी के लिए कानूनी समन, जांच और उचित प्रक्रिया जरूरी होती है। कोई भी सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं कर सकती।

लोग कैसे फंसते हैं इस स्कैम में?

1. डर और घबराहट के चलते तुरंत प्रतिक्रिया देना।

2. पुलिस या कोर्ट जैसी अथॉरिटी का डर।

3. वीडियो कॉल पर नकली दस्तावेज देखकर भ्रमित हो जाना।

4. व्यक्तिगत जानकारी शेयर कर देना।

कैसे करें बचाव? – एक्सपर्ट टिप्स (राहुल मिश्रा, साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर, UP पुलिस)

किसी भी अज्ञात कॉल पर OTP, बैंक डिटेल्स, पासवर्ड या आधार नंबर न दें।

कोई सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल या ईमेल से गिरफ्तारी नहीं करती।

यदि कॉलर जुर्माना या डिजिटल पेमेंट मांगे तो यह 100% स्कैम है।

ऐसे कॉल्स की रिकॉर्डिंग रखें और तुरंत cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।

Truecaller या स्पैम डिटेक्शन ऐप का इस्तेमाल करें।

इस तरह के मामले अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें।

सरकार की कार्रवाई:

गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार के अनुसार, भारत सरकार ने 2025 के फरवरी तक 83,668 WhatsApp अकाउंट और 3,962 Skype ID को ब्लॉक किया है। यह कदम ऐसे साइबर स्कैम पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए हैं।

अगर स्कैम का शिकार हो जाएं तो क्या करें?

1. तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।

2. सोशल मीडिया और बैंकिंग ऐप्स के पासवर्ड बदलें।

3. टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) चालू करें।

4. स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं।

निष्कर्ष:

डिजिटल अरेस्ट स्कैम तकनीक के इस युग में एक नया खतरा बन चुका है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि हम जागरूक, सतर्क और तैयार रहें। याद रखें, डर नहीं, समझदारी ही बचाव है।

Rj22 news

Written by Rj22 news

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