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पाली में साध्वी काव्यलता का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश भव्य रूप से संपन्न, अहिंसा रैली से तेरापंथ सभा भवन तक गूंजा श्रद्धा और समर्पण का स्वर।

पाली से सागरिका जैन कि रिपोर्ट।

पाली। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी काव्यलता जी आदि ठाणा का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश शुक्रवार को पाली नगर में बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। यह अवसर धर्मनगरी पाली के लिए गौरव और साध्वीश्री के प्रति सम्मान का प्रतीक बन गया।

महावीर नगर स्थित भिक्षु साधना केंद्र से आरंभ हुई अहिंसा रैली में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। श्रद्धा, भक्ति और अहिंसा के जयघोषों के साथ यह रैली मंडिया रोड स्थित तेरापंथ सभा भवन तक पहुँची। सभा भवन पहुंचने पर साध्वीश्री और उनके संघ का भव्य स्वागत किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद शिखरचंद चौरड़िया एवं कवि प्रमोद भंसाली द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत ने वातावरण को भावनात्मक बना दिया। महासभा सदस्य गौतम छाजेड़, श्रीसंघ अध्यक्ष रमेश मरलेचा, डूंगरचंद चौपड़ा एवं विनिता बैगानी ने साध्वीश्री के प्रति अपने श्रद्धासिक्त उद्गार प्रकट किए।

सामूहिक गीतिका ने किया भावविभोर

साध्वी ज्योतियशा, साध्वी राहत प्रभा और साध्वी सुरभि प्रभा द्वारा प्रस्तुत सामूहिक गीतिका ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति से अभिभूत कर दिया।

प्रवचन में साध्वी काव्यलता का संदेश

अपने प्रेरणादायी प्रवचन में साध्वी काव्यलता ने पाली को धर्म नगरी बताते हुए यहां के अपने 25 वर्ष पुराने चातुर्मास की स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि आने वाले चार महीनों का चातुर्मास आत्मकल्याण, जप-तप, ध्यान एवं धर्म आराधना के लिए एक सुनहरा अवसर है। उन्होंने समाज को संयम और साधना के पथ पर अग्रसर होने का आह्वान किया।

श्रावक समाज की गरिमामयी उपस्थिति

इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष भूरचंद तातेड़, मंत्री प्रकाश कांकलिया, केशरीमल कटारिया, सुरेंद्र दुग्गड़, गुमानमल भंसाली, अभिषेक दुग्गड़, महावीर सालेचा, राकेश पटावरी, अशोक नाहर, भीमराज खाटेड, पीयूष चौपड़ा, विपिन बाठिया, किरण पटावरी, सुशमा डागा, सीमा मरलेचा सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे और साध्वीश्री के चातुर्मासिक प्रवेश को ऐतिहासिक और अध्यात्ममय बनाया।

पालीवासियों के लिए यह चातुर्मास बना आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत

तेरापंथ धर्मसंघ की यह आध्यात्मिक परंपरा न केवल संयम का परिचायक है, बल्कि सामाजिक जागरूकता और आत्मशुद्धि का माध्यम भी है। साध्वीश्री के सान्निध्य में यह चातुर्मास पालीवासियों के लिए धर्म आराधना और सेवा का अनुपम अवसर सिद्ध होगा।

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Written by Rj22 news

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