हैदराबाद: चारमीनार के पास इमारत में आग, 8 की मौत
हैदराबाद के ऐतिहासिक चारमीनार के पास गुलजार हाउस इलाके में रविवार सुबह एक इमारत में आग लग गई। हादसे में अब तक 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें कुछ बच्चे भी शामिल हैं। आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, लेकिन अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
फायर विभाग को सुबह करीब 6:30 बजे आग की सूचना मिली, जिसके बाद 11 दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और तुरंत बचाव कार्य शुरू किया गया। हादसे में 20 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कई लोग बेहोश हालत में मिले। मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
हादसे के समय चारमीनार क्षेत्र में काले धुएं का घना गुब्बार छा गया। घटनास्थल पर पुलिस और SDRF की टीमें तैनात हैं। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी और AIMIM विधायक मुमताज अहमद खान ने घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हादसे पर दुख जताया और घायलों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
तेलंगाना के मंत्री पोनम प्रभाकर ने कहा कि आग सुबह 6 बजे लगी और 6:16 बजे तक दमकल विभाग मौके पर पहुंच गया था। उन्होंने दावा किया कि इमारत में रहने वाले ज्यादातर लोग आग की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई।
जयपुर: एलपीजी टैंकर ब्लास्ट में 14 की मौत, 200 फीट ऊंची लपटें उठीं
जयपुर में 19 दिसंबर को सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जब एलपीजी गैस से भरे टैंकर में भीषण विस्फोट हो गया। हादसे में 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 32 लोग झुलस गए, जिनमें कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
हादसा सुबह 5:44 बजे हुआ जब अजमेर से जयपुर की ओर आ रहा भारत पेट्रोलियम का टैंकर दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने यू-टर्न ले रहा था। उसी समय जयपुर से आ रहे एक ट्रक ने टैंकर को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर के बाद टैंकर में ब्लास्ट हो गया और 200 फीट तक आग की लपटें उठीं। आसपास के कई वाहन और दुकानों को भी नुकसान पहुंचा।
दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। प्रशासन और पुलिस मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी रही।
इन दोनों हादसों ने एक बार फिर से शहरी इलाकों में आग और गैस हादसों से जुड़ी सुरक्षा तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों की मांग है कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त नियमों के पालन और समय पर ऑडिट की जरूरत है।
सरकारों ने पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसों को रोका जा सकेगा?