ब्रह्मपुरी, आऊवा। संगीत की दुनिया में एक नया नाम तेजी से उभर रहा है — सैम दवे, पुत्र जितेन्द्र एवं अनुसूया दवे। श्रावण माह की भक्ति भरी फिजाओं में सैम अपनी विशेष प्रस्तुति से सबका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। गिटार पर शिव भजनों की सजीव प्रस्तुतियां देकर यह युवा कलाकार भगवान शंकर की आराधना में डूबा हुआ नजर आता है।
कैलाश खैर को अपना आदर्श मानने वाले सैम इन दिनों सोजत, आऊवा, मारवाड़ जंक्शन, पाली सहित विभिन्न स्थानों पर शिव भक्ति की अलख जगा रहे हैं। उनकी प्रस्तुति में “शिव कैलाशों के वासी”, “धोलीधारों के राजा”, “कौन है वो, कैसा है, कहाँ से आया है जिसकी भुजाएं बदले दिशाएं”, “शिव तांडव स्तोत्र” एवं “नमामि शमीशान निर्वाण रूपम्” जैसे लोकप्रिय शिव भजन प्रमुख हैं।
सैम का मानना है कि संगीत की उत्पत्ति स्वयं भगवान शंकर के नाद से हुई है और यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का सबसे सुगम माध्यम है। उनके अनुसार, “जो शिव की भक्ति में डूबा, वो परमानंद की मस्ती में झूमा।”
इस युवा कलाकार की प्रतिभा और भक्ति भाव को विभिन्न जनप्रतिनिधियों एवं समाजसेवियों द्वारा भरपूर सराहा गया है।
प्रशंसा करने वालों में शामिल हैं:
पूर्व कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे
विधायक श्रीमती शोभा चौहान
वरिष्ठ नागरिक समिति अध्यक्ष सुरेश ओझा
अभिनव कला मंच सचिव चेतन व्यास
सोजत नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती मंजू जुगल किशोर निकुंम
अखिल भारतीय श्रीमाली ब्राह्मण समाज पुष्कर कमेटी अध्यक्ष विधु शेखर दवे
श्री गुरु फूलनारायण आश्रम न्यास अध्यक्ष सुरेन्द्र त्रिवेदी
वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित शर्मा
प्रवासी उद्यमी जसवंत व्यास
बुढ़ायत माता मंदिर व्यवस्था समिति के पूर्व अध्यक्ष हितेन्द्र व्यास
अपर लोक अभियोजक पंकज त्रिवेदी
युवा नेता प्रफुल्ल ओझा
समाजसेवी दिनेश दवे, चन्द्र प्रकाश दवे, मनीष व्यास, राकेश व्यास, अजय त्रिवेदी, जितेन्द्र, लखन, हरीश, राहुल, लोकेश, दिनेश, मनीष व्यास आदि।
श्रावण की भक्ति में गूंजती सैम की आवाज ना केवल श्रद्धालुओं के हृदय को स्पर्श कर रही है, बल्कि युवा प्रतिभा को एक नई दिशा भी दे रही है। सैम दवे आने वाले समय में संगीत और भक्ति के क्षेत्र में और ऊँचाइयों को छूने की क्षमता रखते हैं।