जोधपुर, राजस्थान – गुरुवार को दोपहर बाद मोहर्रम एकता कमेटी की ओर से शहर में पारंपरिक ‘सददो’ की रस्म रिमझिम बारिश के बीच अदा की गई। इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय में ग़म और एकजुटता के प्रतीक इन रस्मों का सिलसिला पारंपरिक रास्तों से गुजरता हुआ सम्पन्न हुआ।
कमेटी के सदर उस्ताद हाजी हमीम बक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि सददो की यह पुरानी परंपरा हर वर्ष की तरह इस बार भी बंबा मोहल्ला से शुरू हुई और मेडती गेट, उदयमंदिर, घाणमंडी, हाथीराम का ओढ़ा, महावतों की मस्जिद, उम्मेद चौक, गोल नाड़ी होते हुए मोहल्ला लायकान तक पहुंची। पूरे रास्ते में श्रद्धालु “या इमाम या हुसैन” के नारों के साथ चल रहे थे, और नौजवानों ने अखाड़ों में दमखम और फन का प्रदर्शन कर मातमी जज़्बे को ज़िंदा रखा।
शहर के विभिन्न स्थानों पर दूध, शरबत और खीर का व्यापक इंतज़ाम किया गया था जो राहगीरों और श्रद्धालुओं को शहीद-ए-कर्बला हज़रत इमाम हुसैन की याद दिलाता रहा।
रात 8 बजे से मुस्लिम बहुल इलाकों में ताजियों के स्थानों पर मेहंदी की रस्म भी अदा की गई, जो देर रात तक चलती रही। यह रस्म उन महिलाओं द्वारा निभाई जाती है जो चुरमा और दीयों के साथ इमामबाड़ों में हाजिरी देती हैं।
सददो की रस्म में सम्मिलित प्रमुख लोग
उस्ताद हाजी हमीम बक्ष
उस्ताद फारूक सोलंकी
फिरोज खान
उस्ताद आबिद छिपा
नदीम बक्ष
अन्य समिति सदस्यगण
धार्मिक आयोजन हुए प्रारंभ
इस रस्म के साथ ही मोहर्रम के धार्मिक आयोजनों की शुरुआत हो गई है, जो 10वीं मोहर्रम यानी यौम-ए-आशूरा तक जारी रहेंगे। इन आयोजनों में ताजियों का जुलूस, मातमी मजलिसें, नोहाख्वानी और विभिन्न परंपराएं शामिल हैं जो कर्बला की शहादत को याद करती हैं।