जोधपुर। डॉक्टरों की संगीत प्रतिभा और कलात्मक अभिव्यक्ति को समर्पित वार्षिक संगीतमय संध्या “सुर संगम – द डॉक्टर्स म्यूज़िकल फेस्टिवल” का भव्य आयोजन मंगलवार को वेगास, ज़ोन बाय पार्क में हुआ। यह कार्यक्रम जोधपुर डॉक्टर्स म्यूज़िक क्लब द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें नियो किड्स और ए.एस.जी. हॉस्पिटल ने सहयोगी भूमिका निभाई।

करीब चार घंटे तक चली इस संगीतमय शाम का शुभारंभ डॉ. आशीष व्यास ने ‘आज मेरे पिया घर आएंगे’ गीत से किया।
इसके बाद एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने माहौल को सुरमय बना दिया। डॉ. इमरान ख़ान ने ‘एक हसीना थी’ की जोशीली प्रस्तुति दी। सोलो और डुएट परफॉर्मेंस, लाइव बैंड और कराओके के साथ कार्यक्रम में संगीत का जादू छा गया। इस आयोजन का लाइव प्रसारण यूट्यूब पर भी किया गया।
शाम के दौरान डॉक्टरों ने अपनी गायकी से श्रोताओं का मन मोह लिया। डॉ. विवेक भारद्वाज ने पुराने नग़मों की सुगंध से समां बाँधा, जबकि डॉ. अमित सिंघवी ने ‘फूलों के रंग से’ और डॉ. प्रह्लाद (नागौर) ने ‘छलकाए जाम’ से कार्यक्रम को ऊँचाई दी।
डॉ. अभिनव ने ‘ये तूने क्या किया’, डॉ. अभिषेक बोहरा ने ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, और डॉ. आलोक गुप्ता ने ‘ना तुम हमें जानो’ गीतों से श्रोताओं को भावविभोर किया।
डॉ. ललित मोहन कोठारी ने ‘नैना हैं जादू भरे’ से रूमानी रंग भरा, जबकि डॉ. अशोक सिंघी ने ‘एक हसीन शाम को’ से शाम को यादगार बना दिया।
इसके अलावा डॉ. अजय प्रजापत, डॉ. अमर सिंह, डॉ. अमित जोशी, डॉ. मनीष मन्दोरा, पाली से डॉ. नूरेन मिर्ज़ा, डॉ. रजत श्रीवास्तव, डॉ. राकेश धारी, तथा नागौर से डॉ. रणवीर ने भी अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
आयोजन समिति में संरक्षक डॉ. विवेक भारद्वाज, अध्यक्ष डॉ. आशीष व्यास, सचिव डॉ. इमरान ख़ान, कोषाध्यक्ष डॉ. अभिषेक शर्मा, और तकनीकी सहयोग में डॉ. सवित्री शर्मा व डॉ. अरुण बारठ शामिल रहे।
आयोजन अध्यक्ष डॉ. आशीष व्यास ने कहा — “सुर संगम केवल एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि डॉक्टरों के लिए आपसी जुड़ाव और आत्मिक सुकून का माध्यम है।”
वहीं आयोजन सचिव डॉ. इमरान ख़ान ने बताया कि इस वर्ष का “सुर संगम” पहले से अधिक भव्य रहा, जिसमें जोधपुर सहित आसपास के जिलों के डॉक्टरों और उनके परिवारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम में डॉ. अरविंद माथुर, डॉ. एफ.एस. भाटी, डॉ. आलोक गुप्ता, डॉ. शरद थानवी, और डॉ. सिद्धार्थ लोढ़ा सहित शहर के अनेक वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित रहे।
“सुर संगम” ने यह संदेश दिया कि डॉक्टर केवल जीवन के रक्षक ही नहीं, बल्कि सुरों के सर्जक भी हैं।

